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महात्‍मा गांधी की 150 बीं जयंती पर 02 अक्टूबर, 2020 को ‘गांधी’ कार्यशाला का आयोजन

सीसीआरटी में दिनांक २ अक्टूबर, २०१९ से २ अक्टूबर, २०२० तक म
हात्मा गांधी की १५० वीं जयंती मनाई जा रही है। इसी संदर्भ में सीसीआरटी स्टाफ के लिए ०२ अक्टूबर, २०२० को दोपहर ०२.०० बजे ०३.३० बजे तक एक दिवसीय गांधी कार्यशाला का आयोजन माइक्रोसॉफ्ट टीम्स के माध्‍यम से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के तहत किया जा रहा है। जिसमें सीसीआरटी मुख्‍यालय के सभी स्‍टाफ के अतिरिक्‍त तीनों क्षेत्रीय कार्यालय,(उदयपुर,गोवाहाटी, हैदराबाद) एवं बाहरी 04 विशेषज्ञों को माइक्रोसॉफ्ट टीम्स के माध्‍यम से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से जोड़ा जाएगा। इस कार्यशाला का विषय- ‘मातृभाषा, शिक्षा और संस्कृति के बारे में गांधी जी का विचार’ है।

विषय :-  महात्‍मा गांधी की 150 वीं गांधी जयंती के समापन पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के तहत 02 अक्‍तूबर, 2020 को गांधी कार्यशाला की संक्षिप्त रिपोर्ट

सांस्‍कृतिक स्रोत एवं प्रशिक्षण केन्‍द्र, संस्‍कृति मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा महात्‍मा गांधी की 150 वीं जयंती के समापन पर 02 अक्टूबर, 2020 को ‘गांधी कार्यशाला’ का ऑनलाइन आयोजन किया गया । इस कार्यशाला का विषय- ‘मातृभाषा, शिक्षा और संस्कृति के बारे में गांधी जी का विचार’ था । इस कार्यशाला में चार विद्वानों/साहित्यकारों – प्रो. सदानंद शाही (प्रोफेसर, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय), प्रो. पूरन चंद टंडन (प्रोफेसर, दिल्ली विश्वविद्यालय), प्रो. गणेश पवार (प्रोफेसर, कर्नाटक केंद्रीय विश्वविद्यालय), डॉ. प्रभाकर सिंह(एसोशियेट प्रोफेसर, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय ) ने चर्चा में भाग लिया । प्रो. सदानंद शाही ने कहा कि गांधी जी ने भाषा का साधारणीकरण किया, सच की उपस्थिति से उनकी भाषा में आत्मीयता थी । मौलिकता की भाषा मातृभाषा ही हो सकती है । गांधी ने निजता की संवेद्यता को भाषा का सेतु बनाया । प्रो. पूरन चंद टंडन ने गांधी जी का सम्पूर्ण व्यक्तित्व के बारे में बताते हुए बताया कि भाषा, संस्कृति, जीवन, सब में समग्रता रही । उन्होंने हिन्दी को अखिल भारतीय विस्तार देने व आन्दोलन की भाषा बनाने की पहल भी की । डॉ. गणेश पवार ने गांधी जी की अनेक भाषाओं का सेतु बताया । उन्‍होंने जितना उत्तर मं किया उतना ही दक्षिण में भी भाषाई सांस्कृतिक का फैलाव किया । डॉ. प्रभाकर सिंह ने गांधी को संस्कृति विमर्श को गति देने वाला बताया, जो भारतीय आधुनिकता में विश्वास रखते थे। उन्होंने स्वच्छता व पर्यावरण को भी संस्कृति का उपादान बनाया । संस्कृति के ज़मीनी मूल्यों को गांधी ने पाठ के रूप में प्रस्तुत किया । कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद ज्ञापन करते हुए निदेशक श्री ऋषि कुमार वशिष्ठ ने सभी वक्ताओं व श्रोताओं को धन्यवाद दिया तथा गांधी को महानायक बताया जो हर किसी को सत्य के लिये प्रेरित करता है। राजभाषा प्रभारी एवं उपनिदेशक डॉ. रवींद्रनाथ श्रीवास्तव ने संचालन करते हुए गांधी को संस्कृति, कला, साहित्य, धर्म, समाज, समुदाय : सभी का अपूर्व समन्वयक बताया। सीसीआरटी मुख्‍यालय के सभी स्‍टाफ के अतिरिक्‍त तीनों क्षेत्रीय कार्यालय,उदयपुर,गोवाहाटी, हैदराबाद) को माइक्रोसॉफ्ट टीम्स के माध्‍यम से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से जोड़ा गया । इसके अतिरिक्‍त अन्य इच्छुक दर्शक भी इस कार्यशाला जुड़े हुए थे । गांधी-विचारों की व्याख्या से वे भरपूर लाभान्वित हुए तथा गांधी की भाषा, शिक्षा व संस्कृति – दृष्टि की प्रासंगिकता को जान पाए । गांधी कार्यशाला सभी के लिए ज्ञानवर्धक रही ।







 

 

 

 

 

 


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