शिक्षा व शिक्षा सुधार संबंधी प्रत्येक समिति ने शिक्षा व संस्कृति के बीच प्राकृतिक अंतर्सबंधों पर विशेष बल दिया है । दो समानांतर क्षेत्रों को गठित करने के अलावा संस्कृति व शिक्षा परस्पर मिश्रित हैं, और इन्हें सहजीवी रूप में विकसित करना चाहिए, ताकि संस्कृति अनुप्रमाणित हो सके और शिक्षा को विकसित कर सकें ।
सांस्कृतिक स्रोत एवं प्रशिक्षण केन्द्र (सीसीआरटी) सांस्कृतिक तथा शैक्षिक विकास के सभी क्षेत्रों में कार्मिकों के सतत् प्रशिक्षण की आवश्यकता पर बल देते हुए, सांस्कृतिक जीवन में बड़े पैमाने पर लोगों की भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिए सांस्कृतिक रूप से उत्तम प्रशिक्षित कार्मिकों के अस्तित्व का समर्थन करते हुए “स्कूलों में सांस्कृतिक शिक्षा” पर सेमिनार आयोजित करता है । सेमिनार के प्रतिभागी मुख्यत: प्रधानाचार्य तथा शिक्षक प्रशासक होते हैं जिनके शिक्षकों ने सांस्कृतिक स्रोत एवं प्रशिक्षण केन्द्र (सीसीआरटी) के कार्यक्रमों में भाग लिया है तथा राज्य में शिक्षा से जुड़े अन्य प्रशासक भी यदाकदा होते हैं ।
सांस्कृतिक ने सांस्कृति और शैक्षिक विकस के सभी क्षेत्रो मे कर्मिकों को प्रशिक्षित करने की सतत प्रक्रिया पर जोर दिया है और स्कूलों में प्रशिक्षित कर्मिकों द्वारा सांस्कृति शिक्षा पर संगोष्ठियां आदि करके लोगों को सांस्कृतिक जीवन के प्रति अधिक से अधिक प्रेरित करने पर जोर देता है
सेमिनार के दौरान “स्कूलों में सांस्कृतिक शिक्षा” के विभिन्न पक्षों पर चर्चाएं तथा व्याख्यान- प्रदर्शन आयोजित किये जाते हैं । सीसीआरटी का लक्ष्य स्कूल में पढ़ाए जाने वाले विविध विषयों को समझने में सांस्कृतिक आधार का उपयोग करते हुए शिक्षा के समेकित दृष्टिकोण को अर्जित करना है । सेमिनार के प्रतिभागी, स्कूलों तथा समुदाय में सीसीआरटी के कार्यक्रमों के कार्यान्वयन हेतु सुझाव देते हैं’ एवं सिफारिश करते हैं ।
समय- समय पर, जिला शिक्षा अधिकारियों तथा वरिष्ठ प्रशासकों के लिए विशेष सेमिनार आयोजित किये जाते हैं । इन सेमिनारों की अवधि तीन दिनों की होती है।
अन्य शैक्षिक तथा व्यावसायिक निकायों के प्रशिक्षण तथा अनुसंधान गतिविधियों में शैक्षिक सहायता देने में अपने सतत् प्रयासों के क्रम में सीसीआरटी भारत में युनाइटेड स्टेट्स एजुकेशनल फाउण्डेशन इन इण्डिया (यू0एस0ई0एफ0आई0) के सहयोग से “भारतीय सांस्कृतिक विरासत” पर सेमिनार का आयोजन किया गया है।
इस कार्यक्रमों का उद्देश्य संयुक्त राज्य अमेरिका के शिक्षकों को भारतीय संस्कृति और विरासत के विभिन्न पहलुओं जैसे (1) भूमि एवं लोग (2) धर्म व समाज (3) दृश्य व निष्पादन कलाएं (4) अार्थिक विकास (5 ) शिक्षा (6) महिलाओं की समस्याएं (7) जनपक्षीय आंदोलन तथा भारत-अमेरिका सम्बंधों के बारे में अवगत कराना है ।
कार्यक्रमों का उद्देश्य शिक्षाविदों को देश की वर्तमान परिस्थितियों और चुनौतियों के बारे में जानकारी देना और नई सहस्राब्दि में आने वाली परिस्थितियों से निपटने के लिए भारत की तैयारियों से अवगत कराना भी है ।
सेमिनारों की प्रेरक शक्ति आने वाले शिक्षकों को देश के भविष्य के परिप्रेक्ष्य के प्रति अच्छी समझ ग्रहण करने में सहायता करना भी है । कार्यक्रम दो चरणों में होता है : (1) शैक्षिक और (2) क्षेत्र भ्रमण । शैक्षिक कार्यक्रम लगभग एक सप्ताह के होते हैं जिनमें सीसीआरटी द्वारा भारत का अध्ययन करवाया जाता है और तत्पश्चात् प्रख्यात विद्वानों/प्रतिष्ठित व्यक्तियों के साथ व्याख्यानों, साक्षात्कारों तथा चर्चाओं सहित अनेक बहु-विषयीन कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है ।