परिचय banner image

परिचय

सांस्कृतिक स्रोत एवं प्रशिक्षण केन्द्र (सीसीआरटी) एक अग्रणी संस्थान है, जो शिक्षा को संस्कृति के साथ जोड़ने का कार्य कर रहा है। इसकी स्थापना मई, 1979 में श्रीमती कमलादेवी चट्टोपाध्याय तथा डॉ. – कपिला वात्स्यायन द्वारा किया गया। यह केन्द्र संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार के प्रशासनिक नियंत्रण के अधीन एक स्वायत्त संस्थान के रूप में कार्यरत है। इस केन्द्र का मुख्य सैद्धान्तिक उद्देश्य बच्चों को सात्विक शिक्षा प्रदान कर उनका भावात्मक व आध्यात्मिक विकास करना है। इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए सीसीआरटी संस्कृति पर आधारित शैक्षिक कार्यक्रमों का आयोजन करता है और उनमें विचारों की स्पष्टता, स्वतन्त्रता, सहिष्णुता तथा संवेदनाओं का समावेश किया जाता है।

सांस्कृतिक स्रोत एवं प्रशिक्षण केन्द्र, संस्कृति आधारित सार्थक शिक्षा के माध्यम से राष्ट्र निर्माण में मजबूती प्रदान करने में अपना सहयोग देता रहा है। इस ‘केन्द्र’ का मुख्यालय नई दिल्ली में है। इसके तीन क्षेत्रीय केन्द्र हैं, जो भारतीय कला और संस्कृति के व्यापक प्रचार-प्रसार हेतु पश्चिम में उदयपुर, दक्षिण में हैदराबाद तथा पूर्वोत्तर में गुवाहाटी में स्थित हैं। सांस्कृतिक स्रोत एवं प्रशिक्षण केन्द्र का कार्य छात्रों के बीच भारत की क्षेत्रीय संस्कृतियों की बहुलता के विषय में जागृति व समझ उत्पन्न कर शिक्षा प्रणाली में अन्तर्निहित करना तथा इस ज्ञान को शिक्षा से एकीकृत करना है।

सांस्कृतिक स्रोत एवं प्रशिक्षण केन्द्र का मुख्य लक्ष्य देश भर के सेवारत शिक्षकों, शिक्षक प्रशिक्षकों, शैक्षिक प्रशासकों, छात्रो, के लिए विविध प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन करना है। केन्द्र शारीरिक व मानसिक रूप से कमज़ोर बच्चों के लिए भी विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन करता है। प्रशिक्षण-कार्यक्रम के अंतर्गत सांस्कृतिक पुस्तक-पुस्तिकाओं, दृश्य श्रव्य सामग्री द्वारा पाठ्यक्रम-शिक्षण में सांस्कृतिक तत्त्वों के सन्निवेश के लिए प्रविधि-प्रतिपादन पर विशेष बल दिए जाने के साथ-साथ भारतीय संस्कृति में निहित दर्शन, सौंदर्यशीलता की समझ व बोध भी विकसित की जाती है। विज्ञान, तकनीक, गृहव्यवस्था, कृषि, क्रीड़ा इत्यादि में संस्कृति की भूमिका से जुड़े सभी समृद्ध एवं विकासात्मक पहलुओं पर बल दिया जाता है।

सेवारत शिक्षकों के लिए प्रशिक्षण के महत्‍त्‍व पर भी बल दिया गया है । शिक्षा व्‍यवस्‍था में परिवर्तन किया जा सकता है यदि शिक्षक प्रशिक्षित हों तथा शिक्षण की कार्य-प्रणालियों में परिवर्तनों की आवश्‍यकता को समझने के लिए तैयार हों । चूंकि शिक्षक प्रशिक्षण की अवधि नौ महीने तक ही सीमित है उससे शिल्‍प में पारंगत शिक्षक तैयार करना सम्‍भव नहीं हो सकता । अतः प्रशिक्षित शिल्पकार औपचारिक रीति से पूर्णरूप से शिक्षित नही होते हैं । उन्हें बच्चों को शिल्पकलाएं सि‍खाने में प्रशिक्षित शिक्षकों के साथ होना चाहिए । छात्रों को भारत की समृद्ध सांस्‍कृतिक विरासत से अवगत कराने के लिए संग्रहालयों, स्‍मारकों तथा ऐतिहासिक महत्त्‍व के स्‍थलों के भ्रमणों का आयोजन भी किया जाता है ।

मुख्य कार्य

  • शिक्षक/शिक्षिकाओं और छात्र/छात्राओं के लिए भारतीय संस्‍कृति पर सैद्धान्तिक एवं विषय-वस्‍तु आधारित शैक्षिक कार्यक्रम आयोजित करना ।
  • विद्यालयीन-पाठ्यक्रम में शिल्‍पकला के व्‍यावहारिक ज्ञान को समाहित करने के लिए प्रशिक्षण व कार्यशालाएं आयोजित करना । अपने देश की क्षेत्रीय विविधता तथा सांस्‍कृतिक समृद्धि के प्रति जागृति एवं समझ के लिए नाटक, संगीत, आख्‍यान परंपराओं, लोक एवं शास्‍त्रीय नृत्‍यों इत्‍यादि, विविध गतिविधियों के विषय में कार्यशालाएं आयाजित करना ।
  • विस्‍तार तथा समुदाय पुनर्निवेश कार्यक्रम के अन्‍तर्गत सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों के सम्‍बंधित विद्यालयों में छात्र/छात्राओं, शिक्षकों/शिक्षिकाओं और बालकों/बालिकाओं के लिए विभिन्‍न शैक्षिक कार्यकलापों का आयोजन करना, ताकि प्राकृतिक व सांस्‍कृतिक विरासत के संरक्षण के प्रति जागृति उत्‍पन्‍न की जा सके ।
  • पाण्‍डुलिपियों, कलर स्‍लाइडों, डिजिटल छायाचित्रों, श्रव्‍य और दृश्‍य रिकार्डिंग और फिल्‍मों के रूप में स्रोतों को एकत्रित करना तथा पुस्‍तकालय का निर्माण करना एवं प्रलेखित करना ताकि शैक्षिक सांस्‍कृतिक सॉफ्टवेयर को तैयार कर ग्रामीण भारत की कला और शिल्‍प-रूपों को प्रोत्‍साहित एवं पुनर्जीवित किया जा सके ।
  • शैक्षिक प्रकाशन एवं अन्य श्रव्य-दृश्य सामग्री तैयार करना, जिनके माध्यम से भारतीय संस्कृति के विभिन्न पक्षों की समझ पैदा हो तथा उनका रसास्वादन किया जा सके।
  • सांस्‍कृतिक प्रतिभा खोज छात्रवृत्ति योजना के अन्‍तर्गत प्रतिभावान बालक-बालिकाओं को, जिनकी आयु 10-14 वर्ष के बीच है, विभिन्‍न कलात्‍मक क्षेत्रों में अपनी प्रतिभा विकसित करने के लिए सुविधाएं प्रदान कराना ।
  • केन्‍द्र ने संस्‍कृति मंत्रालय की कुछ अन्‍य नीतियों को भी कार्यान्‍वित किया है जैसे युवा कलाकारों को संस्‍कृति के विभिन्‍न क्षेत्रों में गहन अनुसंधान करने के लिए जूनियर तथा सीनियर फेलोशिप प्रदान करना । इन नीतियों में संस्‍कृति के क्षेत्र में नये उभरते क्षेत्रों को भी अध्‍ययन के लिए शामिल किया गया है । केन्‍द्र ने नेशनल इं‍स्‍टि‍ट्यूट ऑफ कल्‍चरल हेरिटेज मैनेजमेन्‍ट योजना के अन्‍तर्गत कलाओं पर प्रबंधन में प्रशिक्षण की योजना भी शुरू की है जो कि संस्‍कृति मंत्रालय, भारत सरकार की एक नई पहल है । इसके अलावा केन्‍द्र ने सांस्‍कृतिक विरासत युवा नेतृत्‍व कार्यक्रम की भी शुरूआत की है जिसका उद्देश्‍य देश भर के युवाओं तथा समाज के अन्‍य लोगों में सामाजिक मूल्‍यों का विकास करना है ।