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हमारी सांस्कृतिक विविधता

“हमारी सांस्कृतिक विविधता” विषय पर आयोजित कार्यशालाओं में इस बात पर बल दिया जाता है कि छात्रों के मध्य राष्ट्रीय अखंडता की भावना पैदा करने में स्कू्ल किस प्रकार सहायता कर सकते हैं और उनके सामान्य् लोकाचार में राष्ट्रीय अखण्डता की भावना किस प्रकार समाहित की जा सकती है। कार्यशालाओं का उद्देश्य देश के पूर्वोत्तार राज्यों में प्रजातीय पुर समृद्ध संस्कृति के प्रति जागरूकता उत्पन्न करना भी है ।

इन कार्यशालाओं में देश के समृद्ध तथा प्राकृतिक एवं सांस्कृतिक संसाधनों का भावी संरक्ष्‍ाक बनने की भावना पैदा करने का कठिन कार्य आमंत्रित शिक्षकों द्वारा लिया जाता है ।

कार्यशाला के उद्देश्‍य निम्‍नलिखित है

  • समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के प्रति जागरूकता उत्पन्न करना ।
  • शिक्षकों को भारत की सांस्कृतिक विविधता से परिचित करना ताकि उनमें एक-दूसरे के क्षेत्र के प्रति के राज्य, धर्म तथा सांस्कृतिक संदर्भों के प्रति सम्मान का भाव पैदा हो और जिम्मेदार नागरिक बन सके ।
  • ऐसी कार्यात्मक योजना विकसित करना जो छात्रों को भारत की सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण हेतु परियोजना बनाने और जिम्मेदार नागरिक बनने में छात्रों को प्रेरित करें ।
  • हमारी सांस्कृतिक विविधता के संबंध में स्थानीय मुद्दों का समाधान संभव व आसान तरीकों से खोज सकें ।
  • देश के विभिन्‍न भागों से आए शिक्षक/शिक्षिकाओं को एक साथ ठहरने का अवसर प्रदान करना तथा एक-दूसरे के साथ अर्न्‍तसंबंध तथा स्‍थानीय छात्रों से मिलने का अवसर प्रदान ताकि उनकों राष्‍ट्रीय एकता की भावना विकसित हो ।

कार्यशाला में व्‍याख्‍यान/व्‍याख्‍यान प्रदर्शनों, स्‍लाइड प्रस्‍तुतियों, संरक्षण गतिविधियां, परियोजना कार्य, स्‍मारकों और संग्रहालयों का अध्‍ययन आदि पुतलीकला शिक्षण सत्र, रचनात्‍मक अभिव्‍यक्तियां तथा पारम्‍परिक शिल्‍पों को सीखने के सत्र आयोजित किए जाते हैं । शैक्षिक सामग्री तैयार करने तथा खेल आदि के सत्र भी आयोजित किए जाते हैं उन्‍हें ऐतिहासिक प्राकृतिक एवं सांस्‍कृतिक महत्‍व के स्‍थलों आदि का शैक्षिक भ्रमण भी करवाया जाता है ।