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क्षेत्रीय केन्द्र

सांस्कृतिक स्रोत एवं प्रशिक्षण केन्द्र (सीसीआरटी) एक अग्रणी संस्थान है, जो शिक्षा को संस्कृति के साथ जोड़ने के क्षेत्र में कार्य कर रहा है। केन्द्र ने कॉलिज एवं स्कूल के छात्रों में संस्कृति के प्रचार एवं प्रसार की योजना अपने हाथों में ली है। केन्द्र छात्रों के बीच भारत की क्षेत्रीय संस्कृतियों की बहुलता के प्रति जागृति व समझ उत्पन्न कर शिक्षा प्रणाली में अन्तर्निहित करने हेतु विभिन्न माध्यमों का उपयोग करता है।

मानव संसाधन विकास पर गठित संसदीय स्थायी समिति ने वर्ष 1994 में सी.सी.आर.टी. के कार्य की पुनर्वीक्षा की थी और यह सिफारिश की थी कि सी.सी.आर.टी. की गतिविधियों को बुनियादी स्तर तक विस्तारित किया जाना चाहिए और इसके लिए देश के विभिन्न भागों में क्षेत्रीय केन्द्र खोले जाएं। तदनुसार योजना आयोग ने तीन क्षेत्रीय केन्द्र खोलने हेतु अनुमोदन प्रदान किया। उदयपुर तथा हैदराबाद में दो क्षेत्रीय केन्द्र तो पहले ही मानव संसाधन विकास पर पर गठित स्थाई वित्त समिति के अनुमोदन के पश्चात् कार्य करने लग गए थे। स्थाई वित्त समिति ने पूर्वोत्तर में भी एक क्षेत्रीय केन्द्र खोलने की सिफारिश कर दी जिस पर अमल करते हुए केन्द्र ने वर्ष 2008 में नाम मात्र के स्टॉफ के साथ गुवाहाटी में एक क्षेत्रीय केन्द्र खोला।

क्षेत्रीय केन्द्रों की स्थापना निम्नलिखित उद्देश्यों के लिए की गई:

  • जनजातीय क्षेत्रों, ग्रामीण क्षेत्रों तथा अर्द्ध -शहरी क्षेत्रों के स्कूलों के लिए चलते-फिरते पुस्तकालय उपलब्ध कराना।
  • देश भर के स्कूली छात्रों /युवाओं/शिक्षक प्रशिक्षिकों को सांस्कृतिक शिक्षा उपलब्ध कराना।
  • दृश्य, श्रव्य, लिखित तथा रिकार्डिग के रूप में सांस्कृतिक संसाधनों को एकत्र करना।
  • स्कूलों में काम में आने वाली सामग्री तथा समुदाय के लिए परियोजना बनाने के लिए सामग्री पैदा करना।
  • महिला साक्षरता अभियानों, शारीरिक रूप से अक्षम एवं आर्थिक रूप से वंचित व्यक्तियों के कल्याणार्थ अन्य संस्थानों को सहायता पहुंचाना।
  • शिल्प कलाकारों तथा अन्य रचनात्मक कलाओं से जुड़े अन्य पारम्परिक कलाओं और प्रशिक्षण तथा छात्रवृत्ति की सुविधाएं उपलब्ध करवा के सहायता करना।